रतलाम जिले के जावरा कस्बे में मंगलवार रात उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब आंटिया चौराहे पर स्थित एक आइस फैक्ट्री से अमोनिया गैस का रिसाव हो गया। फैक्ट्री के पास रहवासी इलाका और पुलिस लाइन है, जिससे यह घटना और भी संवेदनशील बन गई।
अमोनिया गैस लीक के कारण कई लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ हुई, वहीं प्रशासनिक लापरवाही और फैक्ट्री के गैरकानूनी संचालन ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
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गैस लीक की जानकारी सबसे पहले सीएसपी को हुई
घटना रात लगभग 12 बजे के आस-पास की है। जावरा सीएसपी दुर्गेश आर्मो पुलिस लाइन के पास टहल रहे थे, तभी उन्होंने गैस जैसी दुर्गंध महसूस की। कुछ ही देर में उनकी आंखों में जलन और आंसू आने लगे।
जल्द ही उनके माता-पिता और छोटे भाई पर भी गैस का असर देखा गया। जब पुष्टि हुई कि पास की आइस फैक्ट्री से गैस लीक हो रही है, तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए तुरंत पुलिस लाइन खाली कराई और प्रशासन को सूचना दी।
फैक्ट्री श्रमिकों में भी मचा हड़कंप
जैसे ही फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूरों को गैस लीक का पता चला, वे डरकर भाग निकले। फैक्ट्री के पीछे से रिस रही अमोनिया गैस से आसपास के इलाके में दमघोंटू माहौल बन गया।
✅ क्या हुआ तत्काल एक्शन?
- फायर ब्रिगेड बुलाई गई
- टैंक पर पानी का छिड़काव
- गैस वॉल को बंद किया गया
- आसपास के इलाकों में अनाउंसमेंट कर लोगों को सतर्क किया गया
मौके पर पहुंचे आला अधिकारी
घटना की जानकारी मिलते ही एसपी अमित कुमार, एसडीएम त्रिलोचन गौड़, एसडीओपी संदीप मालवीय और थाना प्रभारी जितेंद्र जादौन मौके पर पहुंचे। उन्होंने पूरी स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित क्षेत्र में एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस बल तैनात किया।
🔍 अधिकारियों की पुष्टि:
“गैस का रिसाव टैंक की वॉल में लीकेज के कारण हुआ था। समय रहते टैंक बंद कर दिया गया, जिससे कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।”
बिना अनुमति के चल रही थी फैक्ट्री
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब बुधवार सुबह उज्जैन से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम जावरा पहुंची, तो जांच में सामने आया कि:
- फैक्ट्री बिना किसी वैध परमिट के चल रही थी
- फैक्ट्री के पास प्रदूषण बोर्ड का लाइसेंस भी नहीं था
- दस्तावेज मांगने पर कोई प्रमाण नहीं दिया गया
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स्थानीय नागरिकों में गुस्सा
घटना के बाद जावरा के नागरिकों में आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में इस तरह का इंडस्ट्रियल प्लांट संचालित होना, वह भी बिना लाइसेंस, न केवल जनजीवन के लिए खतरा है, बल्कि प्रशासन की लापरवाही भी दर्शाता है।
🗣️ सीएसपी दुर्गेश आर्मो का बयान:
“सबसे पहले हमने पुलिस लाइन खाली कराई, फिर आसपास के मोहल्लों में गाड़ी से अनाउंसमेंट कर लोगों को सतर्क किया। गैस वॉल को बंद कराया और क्षेत्र में पानी का छिड़काव करवाया गया।”
आगे की कार्रवाई और जांच
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने मौके पर पंचनामा तैयार किया है और गैस लीक के तकनीकी कारणों की जांच शुरू कर दी गई है। फैक्ट्री को बंद कर दिया गया है और प्रभावित लोगों को प्राथमिक उपचार दिया गया है।
निष्कर्ष: क्या सीख मिली?
इस घटना से एक बात तो स्पष्ट है — उद्योगों की मॉनिटरिंग में भारी चूक हो रही है। अमोनिया जैसे खतरनाक केमिकल्स के इस्तेमाल वाले प्लांट अगर बिना लाइसेंस और सुरक्षा मानकों के चल रहे हैं, तो यह किसी भी समय जनहानि का कारण बन सकते हैं।
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